“तभी बिखेरे बाती नूर” [लम्बी तेवरी-तेवर पच्चीसी ]
+रमेशराज
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छुपे नहीं तेरी पहचान,
इतना मान
चाहे रूप बदल प्यारे । 1
तुझमें बढ़ा घृणा का भाव, भारी ताव
अंगारों में जल प्यारे । 2
सज्जन को करता गुमराह, भरकर डाह
क्यों घूमे बन खल प्यारे
। 3
बहुत जिया तू जल के बीच, आँखें मींच
अब आयेगा थल प्यारे । 4
सच्चाई से तू है दूर, छलिया-क्रूर
निर्मल बनता मल प्यारे । 5
तभी बिखेरे बाती नूर, ये दस्तूर
मोम सरीखा गल प्यारे । 6
दुःखदर्दों से किसकी मुक्ति? कोई युक्ति??
क्या होना है कल प्यारे?
7
अब तू जिस संकट के बीच, भारी कीच
थोड़ा-बहुत निकल प्यारे । 8
रैंग, हुआ जो पाँव विहीन, बनकर दीन
सर्प सरीखा चल प्यारे । 9
जग में उल्टे-सीधे काम, ओ बदनाम
क्यों करता है छल प्यारे । 10
बहे पसीना गर्मी खूब, झुलसी दूब
अब तो पंखा झल प्यारे । 11
अब होना सारा तम भंग, दीखे रंग
सूरज रहा निकल प्यारे । 12
भले लगें तुझको बाजार, मेरे यार
चल सिक्कों में ढल प्यारे । 13
होना तुझे अन्ततः ढेर, मेरे शेर
अब तू खूब उछल प्यारे । 14
फिर करना ठंडक महसूस, अरे खडूस
थोड़ा अभी उबल प्यारे । 15
अगर नहीं करनी बरसात, ये क्या बात?
क्यों बनता बादल प्यारे । 16
कौन रहा यह पागल बोल, पेड़ टटोल
“फूल नहीं है फल प्यारे “। 17
हम बोलेंगे नहीं कठोर, तुझको चोर
पहले तनिक पिघल प्यारे । 18
बनता फिरता है सुकरात, बिन औकात
ले अब जरा गरल प्यारे । 19
जिसमें दिखें खुशी के रंग, उठें तरंग
कब आया वो पल प्यारे । 20
आयी गर्दिश को पहचान , अब तो मान
तू है राजा ' नल ' प्यारे | 21
लोग आज गड्ढों को पाट, आकर हाट
दीख रहे समतल प्यारे । 22
आने दे थोड़ी-सी धूप , ओ स्तूप
क्यों तू बना महल प्यारे । 23
अपने मन को किये अधीर , लेकर पीर
डोल न बन पागल प्यारे । 24
दो छंदों में! फिर भी शे’र देर-सबेर
ये भी रूप ग़ज़ल प्यारे??
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+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़ -202001
mo.-9634551630
+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़ -202001
mo.-9634551630
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