“ चूमि-चूमि मातृभूमि “ [ रमेशराज
की तेवरियाँ ]
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रमेशराज
की तेवरी......1.
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मारि-मारि, भू पै डारि, बू उतारि,
पाक की
बाँह-टाँग धाड़-धाड़ लै उखारि पाक की।
मन में उबाल ला, बनि के मशाल जलि
पाप-बेलि ताड़-ताड़ दे उजारि पाक की।
कंस और दे न दंश, मेटि वंश शत्रु का
आज हाथ वाण ले, जाँ निकारि पाक की।
भण्डा फोडि़, अण्डा फोडि़,
कण्डा फोडि़ पाक के
माँगै कशमीर, वीर मुण्डि
झारि पाक की।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......2.
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चूमि-चूमि मातृभूमि घूमि-घूमि मार दै
अरि को पकरि, भरि मुष्टिका
प्रहार दै।
तू न चूक टूक-टूक करि तार
पाक के
साध लै कमान-ध्यान,
तीर आर-पार दै।
तान छरि, आन छरि, शान छरि, शत्रु की
म्यान खोल, हल्ला बोल,
पाक को पछार दै।
क्रान्ति का रमेशराज, सिखला दे पाठ तू
तोडि़-तोडि़ डंक,
पाक-हेकड़ी निकार दै।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......3.
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सत्ता की कुचालन कूँ राम-राम दूर से
मकड़ी के जालन कूँ राम-राम दूर से, है प्रणाम दूर से |
धनिये में लीद मिलै, कंकरीट दाल में
मोटे-मोटे लालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
सरकारी आँकड़ों के बादलों में जल है
सूखे-सूखे तालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
चीकने घड़ों की कौम, नेतन के वंश को
गैंडे जैसी खालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
खोपड़ी को लाल-लाल हर हाल जो करें
ऐसी फुटबालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
नेताजी के बँगले में फसले-बहार है
फूली-फूली डालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
जाली नोट, खींचे वोट,
चोट दे वतन को
ऐसी टकसालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
फिल्मी अदा के साथ प्रश्न सब पूछते
यक्ष के सवालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
आपके ये ढोल-बोल
! आपको ही शुभ हों
तालहीन तालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
तोल-तोल तू बोल हमसे रमेशराज
बड़बोले गालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......4.
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पूरे ढोर, नंग-चोर बात करें ध्रर्म की
सैंधबाज-घूँसखोर बात करें ध्रर्म
की , सत्य-भरे मर्म की |
घर पै बढ़ायें बोझ, गाँठ काटें बाप की
पूत ऐसे चारों ओर बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |
रखते यकीन हीन-ये कमीन छल में
झूठ के पकडि़ छोर बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |
आज तो रमेशराज बगुले-गिद्ध-बाज
बनते कपोत-मोर,
बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......5.
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नेता की जात निराली,
देता आश्वासन खाली, कुक्कू-कुक्कू।
जनता तो भूखी-प्यासी
मंत्री के आगे थाली, कुक्कू-कुक्कू।
शुद्ध अहिंसावादी है ये
नेता के हाथ दुनाली, कुक्कू-कुक्कू।
जनता है सूख छुआरा
नेता पै छायी लाली, कुक्कू-कुक्कू।
उल्लू बैठे डाल-डाल पै
खुश हैं भारत के माली, कुक्कू-कुक्कू।
आज राम सँग मौज उड़ाते
कुम्भकरण, रावण,
बाली, कुक्कू-कुक्कू।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......6.
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करते नित धम्मक-धम्मा
जिनके ऊपर सिर्फ मुलम्मा, हर-हर गंगे।
अब तौ नसबन्द कराय लै
मैं तौ नौ-नौ की अम्मा,
हर-हर गंगे।
सत्ता हाथ न , हालत पतली
नेता कौ खुलौ पजम्मा, हर-हर गंगे।
जनता से दूध दूर है
मंत्री को दही कटम्मा, हर-हर गंगे।
इसके ऊपर काले विषधर
कुर्सी कौ देख तितम्मा, हर-हर गंगे।
खिसकी नेता की कुर्सी
नेता झट गिरौ धड़म्मा, हर-हर गंगे।
बूथ लूट संसद पहुंचाया
नेता ने पूत निकम्मा, हर-हर गंगे।
खुद तो नेता अजगर जैसा
जनता को कहे हरम्मा, हर-हर गंगे।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......7.
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गैंडे-सा, आँख चिरौटा,
कुर्सी पै जमौ बिलौटा, जै नेता की।
तस्कर-लुच्चे की ही सुनता
नेता के लगौ मुखौटा, जै नेता की।
खिचड़ी राजनीति की लेके
करता नित घौटमघौटा, जै नेता की।
रिश्वत खायी, चौथ वसूली,
बुरे कर्म से कब ये हौटा, जै नेता की |
पहुँचा संसद, नेता फूला
हाथी से ज्यादा मौटा, जै नेता की।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......8.
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बैठो किस्मत कौ भट्टा,
अब तौ रोटी में बट्टा, जय माता दी।
रूप स्वदेशी पर नेता-घर
भारी डालर के चट्टा, जय माता दी।
राजनीति मंदिर-मस्जिद की
सिमटै कैसे पसरट्टा, जय माता दी |
वे कहलाते गांधीवादी
जिनके हाथों में कट्टा, जय माता दी।
आगजनी के लूटपाट के
प्यारे तू झेल झपट्टा, जय माता दी।
तैने ही संसद पहुँचायौ
नेता को देखि सिंगट्टा, जय माता दी।
साथ दरोगा चोर-उचक्के
थाने के भीतर सट्टा, जय माता दी।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......9.
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नेताजी के रूप निराले,
घोटालों में नित घोटाले, बम-बम भोले।
राम नाम के ओढ़ दुशाले,
बसे शहर में विषधर काले, बम-बम भोले।
राम आज के रावण के सँग
घूमें ज्यों जीजा-साले, बम-बम भोले।
आँख लड़ाये दिनभर बुड्ढ़ा
कुडियों को दाना डाले, बम-बम भोले।
गोद रहे हैं आज वतन को
नेता-अफसर जैसे भाले,
बम-बम भोले।
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......10.
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बहती अब उल्टी गंगा,
बस्ती में पुजे लफंगा, क्या कर लोगे?
एक टांग को खोकर भी यारो
पंगा नित लेता पंगा, क्या कर लोगे?
बीबी बोलै सौतन को लखि
नहीं बनाय कें दूँगी अंगा, क्या कर लोगे?
बाराती सब ऐंडे-भैंडे
कानी दुल्हन, दूल्हा छंगा,
क्या कर लोगे?
कुडि़यों का छोरा दीवाना
छोड़ टंगड़ी मारै टंगा, क्या कर लोगे?
हीरोइन निर्वस्त्र हुई है
होगा हीरो भी नंगा, क्या कर लोगे?
+ रमेशराज +
रमेशराज
की तेवरी......11.
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नेता कुर्सी के घैंटा,
जैसे बूरे के चैंटा, कुक्कू-कुक्कू।
सुन्दरता पर भाषण देते
लूले-लँगडे़ और कनैंटा,
कुक्कू-कुक्कू।
औरों में ही दोष निकालें
ऐंडे भेंड़े टेड़े टैंटा, कुक्कू-कुक्कू।
इनका क्या ईमान-धर्म ये
रंग बदल लेते करकैंटा, कुक्कू-कुक्कू।
नेताजी है भौंट सरीखे
जनता तो सूखौ सैंटा, कुक्कू-कुक्कू।
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+ रमेशराज, 15/109, ईसानगर,
अलीगढ-202001
Mo.-9634551630
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