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रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....1.
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हर
पल असुर करेंगे बस वन्दना खलों की
बस
वन्दना खलों की
, नित अर्चना खलों की |
नित
अर्चना खलों की
, शब्दों में इनके बोले
शब्दों
में इनके बोले मधुव्यंजना खलों की |
मधुव्यंजना
खलों की
, सज्जन के ये हैं निंदक
सज्जन
के ये हैं निंदक दुर्भावना खलों की |
दुर्भावना
खलों की
, हर भाव में सियासत
हर
भाव में सियासत
, मत चौंकना खलों की |
मत चौंकना खलों की जन-जन पे आज भारी
जन-जन पे आज भारी
अधिसूचना खलों की |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....2.
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वो
हो गया है जादू
, गर्दन छुरी को चाहे
गर्दन
छुरी को चाहे
, अबला बली को चाहे |
अबला
बली को चाहे
, बलवान ' रेप ' करता
बलवान ' रेप
' करता , मन उस खुशी को चाहे
मन
उस खुशी को चाहे
, जिसमें भरी है हिंसा
जिसमें
भरी है हिंसा
, उस गुदगुदी को चाहे
उस
गुदगुदी को चाहे
, जो जन्म दे रुदन को
जो
जन्म दे रुदन को
, उस विप्लवी को चाहे |
उस
विप्लवी को चाहे
, जो क्रांति का विरोधी
जो
क्रांति का विरोधी
, उस आदमी को चाहे |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....3.
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माँ मांगती दुआएँ बच्चों का पेट भर दे
माँ मांगती दुआएँ बच्चों का पेट भर दे
बच्चों
का पेट भर दे
, कुछ रोटियाँ इधर दे |
कुछ रोटियाँ इधर दे ' इतना करम हो मौला
इतना
करम हो मौला , छोटा-सा एक घर दे
|
छोटा-सा एक घर दे , कब तक जियें सड़क पर
कब तक जियें सड़क पर , खुशियों-भरा सफर दे |
खुशियों-भरा सफर दे , हम परकटे-से पंछी
हम
परकटे-से पंछी , हमको हसीन पर दे |
हमको
हसीन पर दे , माँ कह रही खुदा से
माँ
कह रही खुदा से बच्चों को शाद कर दे |
+
रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....4.
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अब
दे रहे दिखाई सूखा के घाव जल में
सूखा
के घाव जल में
, जल के कटाव जल में |
जल
के कटाव जल में
, मछली तड़प रही हैं
मछली
तड़प रही हैं
, मरु का घिराव जल में |
मरु
का घिराव जल में
, जनता है जल सरीखी
जनता
है जल सरीखी
, थल का जमाव जल में |
थल
का जमाव जल में
, थल कर रहा सियासत
थल
कर रहा सियासत
, छल का रचाव जल में |
छल
का रचाव जल में
, जल नैन बीच सूखा
जल नैन बीच सूखा , दुःख का है भाव जल में |
+ रमेशराज
रमेशराज
की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....5.
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बस
दास-भाव वाला हम में है रक्त जय हो
हम
में है रक्त जय हो,
हम उनके भक्त जय हो |
हम
उनके भक्त जय हो
, जो हैं दबंग-गुंडे
जो
हैं दबंग-गुंडे , जो सच से त्यक्त जय हो |
जो
सच से त्यक्त जय हो
, जयचंद-मीरजाफर
जयचंद-मीरजाफर में
निष्ठा व्यक्त जय हो |
जय
हो विभीषणों की
, कलियुग के कौरवों को
कलियुग
के कौरवों को करते सशक्त जय हो |
करते
सशक्त जय हो
, भायें हमें विदेशी
भायें
हमें विदेशी
, हम देश-भक्त जय हो |
+रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....6.
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कुछ
भी न होगा प्यारे,
सत्ता बदल-बदल के
सत्ता
बदल-बदल के, इस रास्ते पे चल के |
इस
रास्ते पे चल के
, तुझको छलेंगे रहबर
तुझको
छलेंगे रहबर , गर्दन
गहें उछल के |
गर्दन
गहें उछल के
, फिर जेब तेरी काटें
फिर
जेब तेरी काटें
, इस राह के धुंधलके |
इस
राह के धुंधलके
, तुझको न जीने देंगे
तुझको
न जीने देंगे,
होना न कुछ उबल के |
होना
न कुछ उबल के
, सिस्टम बदलना होगा
सिस्टम
बदलना होगा,
तब नूर जग में झलके |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....7.
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पड़नी
है और तुझ पे
, टेक्सों की मार प्यारे
टेक्सों की मार प्यारे , नित झेल वार प्यारे |
नित झेल वार प्यारे, मिलना न न्याय तुझको
मिलना
न न्याय तुझको
, चुभनी कटार प्यारे |
चुभनी
कटार प्यारे
, बाबू की अफसरों की
बाबू की अफसरों की , आरति उतार प्यारे |
आरति
उतार प्यारे
, महंगाई झेल हर दिन
हर
दिन बजट पे तेरे, डाके हज़ार प्यारे |
डाके
हज़ार प्यारे
, शासन बना लुटेरा
शासन
बना लुटेरा
, अब तो विचार प्यारे |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी...8.
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कुछ
देश-भक्त बन के , अब खा रहे वतन को
अब
खा रहे वतन को
, हर भोर की किरन को |
हर
भोर की किरन को तम में बदल रहे हैं
तम
में बदल रहे हैं
, सुख से भरे चलन को |
सुख
से भरे चलन को दुःख-दर्द दे रहे हैं
दुःख-दर्द दे रहे
हैं , हर एक भोले मन को |
हर
एक भोले मन को
, अंगार भेंट करते
अंगार
भेंट करते
, तैयार हैं हवन को |
तैयार
हैं हवन को
, ये देश-भक्त बन कर
ये देश-भक्त
बन कर , नित लूटते चमन को |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....9.
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सब
सूदखोर घेरे
, अब क्या करेगा 'होरी '
अब
क्या करेगा
'होरी ', भूखा मरेगा 'होरी
'|
भूखा
मरेगा
'होरी ', घर में न एक दाना
घर
में न एक दाना
, गिरवी धरेगा 'होरी '|
गिरवी
धरेगा
'होरी ', धनिया के कंगनों को
धनिया
के कंगनों को
, फिर भी डरेगा 'होरी '|
फिर
भी डरेगा
'होरी ', कर्जा है अब भी बाक़ी
कर्जा
है अब भी बाक़ी,
ये भी करेगा होरी |
ये भी करेगा होरी , बैलों को बेच देगा
बैलों
को बेच देगा
, कर्जा भरेगा 'होरी '|
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....10.
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जनता
की जेब सत्ता
, बस आजकल टटोले
बस
आजकल टटोले
, ' करना विकास ' बोले |
' करना विकास ' बोले , ऐसे नियम बनाए
ऐसे नियम बनाए , दागे नियम के गोले |
दागे
नियम के गोले
, कर-जोड़ खड़ी जनता
कर-जोड़ खड़ी जनता
, अपनी जुबां न खोले |
अपनी
जुबां न खोले
, बस कांपती है थर-थर
बस
कांपती है थर-थर , सत्ता के देख ओले |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....11.
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दिन
देश-भर में अच्छे लायेंगे अब विदेशी
लायेंगे
अब विदेशी
, आयेंगे अब विदेशी |
आयेंगे
अब विदेशी दौलत यहाँ लुटाने
दौलत
यहाँ लुटाने, भाएंगे अब विदेशी |
भाएंगे अब विदेशी , सेना में रेलवे
में
सेना
में रेलवे में , गायेंगे अब विदेशी |
गायेंगे
अब विदेशी
, "अब है हमारा भारत"
भारत के काजू -पिश्ता
खायेंगे अब विदेशी |
खायेंगे
अब विदेशी
, करके हलाल मुर्गा
मुर्गा-सरीखा हमको
पाएंगे अब विदेशी |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....12.
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तम
के हैं आज जारी हर रोशनी पे हमले
हर
रोशनी पे हमले
, अब ज़िन्दगी पे हमले |
अब
ज़िन्दगी पे हमले
, नित मौत कर रही है
नित
मौत कर रही है मन की खुशी पे हमले |
मन
की खुशी पे हमले
, दुःख-दर्द कर रहे हैं
दुःख-दर्द कर रहे
हैं सुख की नदी पे हमले |
सुख
की नदी पे हमले सूखा के हो रहे हैं
सूखा
के हो रहे हैं हर सू नमी पे हमले |
हर
सू नमी पे हमले
, मरुथल-सी ज़िन्दगी है
मरुथल ने कर दिए हैं खिलती कली पे
हमले |
+ रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....13.
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मातों-भरा है जीवन
, जनता की जय कहाँ है
जनता की जय कहाँ है , आनन्द-लय कहाँ है |
आनन्द-लय कहाँ
है , दुःख-दर्द हैं घनेरे
दुःख-दर्द हैं घनेरे
, सुख का विषय कहाँ है |
सुख
का विषय कहाँ है,
संघर्षमय है जीवन
संघर्षमय
है जीवन
, रोटी भी तय कहाँ है |
रोटी
भी तय कहाँ है
, बस भुखमरी का आलम
बस
भुखमरी का आलम
, दुःख पर विजय कहाँ है |
दुःख पर विजय कहाँ है , केवल बुढ़ापा घेरे
केवल
बुढ़ापा घेरे
, उन्मुक्त वय कहाँ है |
--रमेशराज
रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....14.
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हम
पे कुनीतियों के कोड़ों की मार क्यों है ?
कोड़ों
की मार क्यों है
? शासन कटार क्यों है ?
शासन कटार क्यों है ? सोचेगा बोल कब तू
सोचेगा बोल कब तू , हर बार हार क्यों है ?
हर
बार हार क्यों है
? गुंडों को चुन न प्यारे
गुंडों को चुन न प्यारे , गुंडों से प्यार क्यों है ?
गुंडों से प्यार क्यों है
? सुधरे न ऐसे सिस्टम
सुधरे न ऐसे सिस्टम , ऐसा विचार क्यों है ?
ऐसा विचार क्यों है ? सत्ता बदलना हितकर
सत्ता बदल दी अब भी तुझको बुखार क्यों
है ?
+ रमेशराज
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-रमेशराज, 15/109, ईसानगर,
अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630
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