मेरी कृतियाँ

Friday 19 February 2016

10 हाइकुदार तेवरियाँ

+|| तेवरी ग़ज़ल नहीं || प्रस्तुत है हाइकुदार तेवरी ---1.
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आज प्रेम के / सुखमय मंजर / कहीं न दीखें        [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
दरिया झीलें / जलद-समंदर / खाली-खाली हैं।        [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
मित्र शत्रु-से / उलझन में मन / दुखः है भारी
सभी प्यार के / रतिमय अक्षर / खाली-खाली हैं।
अब रिश्तों में / अति कड़वाहट / लोग घोलते
आज नेह के / मधुमय सागर / खाली-खाली हैं।
बसा लबों पै / सघन मौन बस / नैन अश्रु हैं
खुशियों वाली / मृदुलय के घर / खाली-खाली हैं।
एक पहेली / महज बनी अब / सब सौगातें
आज दिवाली / दिन-सम उत्तर / खाली-खाली हैं।
+ रमेशराज +


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हाइकुदार तेवरी ----2.
चाँद-सितारे / हर मन विकसें / हसीं नजारे          [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
मंजर सारे / जन-जन के सँग / प्यारे-प्यारे हों।        [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
नहीं रहा है / सहज विहँसना / मन दर्दों में
शोख इशारे / जन-जन के सँग / प्यारे-प्यारे हों।
आज जि़न्दगी / अविरल तम में / नूर न दीखे
घने उजारे / जन-जन के सँग / प्यारे-प्यारे हों।
नैना भरते / अब अँसुअन से / मन में पीड़ा
हसीं सहारे / जन-जन के सँग / प्यारे-प्यारे हों।
अब तूफाँ  में / तन-मन सबका / फँसा हुआ है
आज किनारे / जन-जन के सँग / प्यारे-प्यारे हों।
+ रमेशराज +

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हाइकुदार तेवरी --3.
भूल गये हैं / सुख-अभिनंदन / दर्दों में मन        [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
महँका यारो / अब कब चन्दन / तीखी बातें हैं।       [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
आज खुशी का / सब अधरों पर / जादू गुम है
जो खुशियाँ दे / वह मकरन्द न / तीखी बातें हैं।
नये विषैले / अधर-अधर पै / गीत बसे हैं
मधुता वाले / मधुरिम छन्द न / तीखी बातें हैं।
तुझको पूजें / निश-दिन हम क्यों / थाल सजायें
तेरे मिलते / दुःखमय वन्दन / तीखी बातें हैं।
चाह यही थी / कुछ सुख मिलता / हम मुस्काते
ज्वार आज भी / कटु-कटु बन्द न / तीखी बातें हैं।
+ रमेशराज +

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हाइकुदार तेवरी -----4.
नाग जरुरी / बन मत कायर / आग जरूरी           [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
सारा सिस्टम / अब जन-जन को / खाये जाये है।       [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
इन्सानों पर / अब आफत अति / सभी दुःखी हैं
अन्जाना ग़म / अब जन-जन को / खाये जाये है।
खल-उत्पाती / जन-जन में दुःख / सब आघाती
फैला मातम / अब जन-जन को / खाये जाये है।
बोल प्यार के / सहज नहीं अब / सब उन्मादी
अंधा मौसम / अब जन-जन को / खाये जाये है।
मौन रहेगा / यदि तू पल-पल / दर्द सहेगा
सत्ता का यम / अब जन-जन को / खाये जाये है।
+ रमेशराज +

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हाइकुदार तेवरी ------5.
मत रो प्यारे / कल यह सम्भव / मिलें किनारे         [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
खुशियाँ आयें / चल बढ़ता चल / तू मुसकायेगा।         [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
कर ले चप्पू / रख हिम्मत कुछ / नाव बढ़ा रे
रंगीं मंजर / अब तो पल  पल / होता जायेगा।
बढ़ता आ रे / सुखद-सुखद ही / दिखें नजारे
दुःख पायेगा / इस तम से अब / जो घबरायेगा।
हैं अँधियारे / इनसे डर मत / दीप जला रे
गीत नूर के / फिर यह मौसम / प्यारे गायेगा।
आज भले ही / बुरा समय पर / ना घबरा रे
छोड़ा साहस / तो यह तय सुन / मातें खायेगा।
+ रमेशराज +

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हाइकुदार तेवरी--6.
लोग न बोलें / अगर मुखर हों / विष ही घोलें       [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
नेह-प्यार के / वचन आजकल  / बोलें हत्यारे।        [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
इतना रिश्ता / अब सब रखते / जेब टटोलें
आज लालची / जिधर लखें हम / सारे के सारे।
'गौतम' बोलें / पल-पल खुद को / आज गिलोलें
छुपे हुए हैं / महज आजकल / फूलों में आरे।
प्रेम-कथा में / अब दुःख मिलता / जितना खोलें
इन ग्रन्थों का / छल-फरेब-मय / पन्ना-पन्ना रे।
अब है इच्छा / जगत देखकर / हम भी रो लें
प्रश्न यही है / दुःख में हँसकर / क्या होगा प्यारे!
+ रमेशराज +

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हाइकुदार तेवरी--- 7.
आज भले ही / हम बिन सावन / रुठे हैं मेघा         [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
अब है सूखा / कल मरुथल में / जल देखेंगे।           [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
अँधियारे में / विहँस परस्पर / दीपों को वारें
आज दुःखी हैं / सुख को मुख पर / कल देखेंगे।
मात उसे दें / भर साहस हम / मुण्डी झाडेंगे
आये कल को / हम उसके सब / बल देखेंगे।
नहीं झुकेंगे / खल के सम्मुख / तीखा बोलेंगे
कायरता को / पल-पल तजते / खल देखेंगे।
यही कहानी / और न सब हम / यारो पायेंगे
नहीं पतंगे / अब दीपक पर / जल देखेंगे।
+ रमेशराज +

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हाइकुदार तेवरी---8.
मन में पीड़ा/ सब कुछ दुःख में / तन में पीड़ा       [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
मुस्कानों पै / अब रहती बस / दर्दों की छाया।            [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
बादल आँखें / पल-पल बरसें / घायल आँखें
मृदुगानों पै / अब रहती बस / दर्दों की छाया।
दर्द घोलती / निर्धन-घर अब / भूख डोलती
सुख-खानों पै / अब रहती बस / दर्दों की छाया।
कथा सुखों की / बदल बनी अब / कथा दुःखों की
मधु तानों पै / अब रहती बस / दर्दों की छाया।
खुशियाँ रूठीं / बस आफत बन / सब पै टूटीं
अनुमानों पै / अब रहती बस / दर्दों की छाया।
+ रमेशराज 

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हाइकुदार तेवरी-9.
केवल वादे / अजब सियासत / कुछ भी ना दे         [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
सिर्फ कागजी / सुविधा जन तक / क्या मुस्कायेंगे !     [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
बनें न नाती / इस युग आकर / सब हैं दादे
छील दिये हैं / सब ही मन तक / क्या मुस्कायेंगे !
बोझ पीठ पै / जन-जन अपनी / अब हैं लादे
बोझा पहुँचा / सबके तन तक / क्या मुस्कायेंगे !
कहीं न दीखें / अब संसद तक / नेक इरादे
नेता पहुँचे / जन-गर्दन तक / क्या मुस्कायेंगे !
दीपक सारे / अगर जल उठें / हो उजियारा
अंधकार है / आज नयन तक / क्या मुस्कायेंगे!
+ रमेशराज +
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हाइकुदार तेवरी--10.
भोली जनता / लुटती हरदम / कैसा सिस्टम ?         [ 5/7/5 वर्ण , 24 मात्राएँ ]
लूट मचायी / अब संसद तक / नेता ने भारी।           [ 5/7/5 वर्ण , 26 मात्राएँ ]
मन की आशा / पिसती हरदम / कैसा सिस्टम ?
पीर बढ़ायी / अब संसद तक / नेता ने भारी।
लाश वफा की / दिखती हरदम / कैसा सिस्टम ?
छुरी चलायी / अब संसद तक / नेता ने भारी।
पैंठ छलों की / मिलती हरदम / कैसा सिस्टम ?
पीर बुलायी / अब संसद तक / नेता ने भारी।
जनता फाके / करती हरदम / कैसा सिस्टम ?
पी चिकनायी / अब संसद तक / नेता ने भारी।

+ रमेशराज +

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