मेरी कृतियाँ

Sunday 13 March 2016

रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरियाँ





रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरियाँ 
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रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....1.
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हर पल असुर करेंगे बस वन्दना खलों की
बस वन्दना खलों की , नित अर्चना खलों की |
नित अर्चना खलों की , शब्दों में इनके बोले
शब्दों में इनके बोले मधुव्यंजना खलों की |
मधुव्यंजना खलों की , सज्जन के ये हैं निंदक
सज्जन के ये हैं निंदक दुर्भावना खलों की |
दुर्भावना खलों की , हर भाव में सियासत
हर भाव में सियासत , मत चौंकना खलों की |
 मत चौंकना खलों की जन-जन पे आज भारी
जन-जन पे आज भारी अधिसूचना खलों की |
+ रमेशराज  



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....2.
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वो हो गया है जादू , गर्दन छुरी को चाहे
गर्दन छुरी को चाहे , अबला बली को चाहे |
अबला बली को चाहे , बलवान ' रेप ' करता
बलवान ' रेप ' करता , मन उस खुशी को चाहे
मन उस खुशी को चाहे , जिसमें भरी है हिंसा
जिसमें भरी है हिंसा , उस गुदगुदी को चाहे
उस गुदगुदी को चाहे , जो जन्म दे रुदन को
जो जन्म दे रुदन को , उस विप्लवी को चाहे |
उस विप्लवी को चाहे , जो क्रांति का विरोधी
जो क्रांति का विरोधी , उस आदमी को चाहे |
+ रमेशराज


रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....3.
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माँ मांगती दुआएँ बच्चों का पेट भर दे
बच्चों का पेट भर दे , कुछ रोटियाँ इधर दे |

 कुछ रोटियाँ इधर दे ' इतना करम हो मौला

इतना करम हो मौला , छोटा-सा एक घर दे |

छोटा-सा एक घर दे , कब तक जियें सड़क पर

कब तक जियें सड़क पर , खुशियों-भरा सफर दे |

खुशियों-भरा सफर दे , हम परकटे-से पंछी

हम परकटे-से पंछी , हमको हसीन पर दे |

हमको हसीन पर दे , माँ कह रही खुदा से

माँ कह रही खुदा से बच्चों को शाद कर दे |

+ रमेशराज



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....4.
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अब दे रहे दिखाई सूखा के घाव जल में
सूखा के घाव जल में , जल के कटाव जल में |
जल के कटाव जल में , मछली तड़प रही हैं
मछली तड़प रही हैं , मरु का घिराव जल में |
मरु का घिराव जल में , जनता है जल सरीखी
जनता है जल सरीखी , थल का जमाव जल में |
थल का जमाव जल में , थल कर रहा सियासत
थल कर रहा सियासत , छल का रचाव जल में |
छल का रचाव जल में , जल नैन बीच सूखा
 जल नैन बीच सूखा , दुःख का है भाव जल में |
+ रमेशराज


रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....5.
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बस दास-भाव वाला हम में है रक्त जय हो
हम में है रक्त जय हो, हम उनके भक्त जय हो |
हम उनके भक्त जय हो , जो हैं दबंग-गुंडे
जो हैं दबंग-गुंडे , जो सच से त्यक्त जय हो |
जो सच से त्यक्त जय हो , जयचंद-मीरजाफर
जयचंद-मीरजाफर में निष्ठा व्यक्त जय हो |
जय हो विभीषणों की , कलियुग के कौरवों को
कलियुग के कौरवों को करते सशक्त जय हो |
करते सशक्त जय हो , भायें हमें विदेशी
भायें हमें विदेशी , हम देश-भक्त जय हो |
+रमेशराज



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....6.
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कुछ भी न होगा प्यारे, सत्ता बदल-बदल के
सत्ता बदल-बदल के, इस रास्ते पे चल के |
इस रास्ते पे चल के , तुझको छलेंगे  रहबर
तुझको छलेंगे  रहबर , गर्दन गहें उछल के |
गर्दन गहें उछल के , फिर जेब तेरी काटें
फिर जेब तेरी काटें , इस राह के धुंधलके |
इस राह के धुंधलके , तुझको न जीने देंगे
तुझको न जीने देंगे, होना न कुछ उबल के |
होना न कुछ उबल के , सिस्टम बदलना होगा
सिस्टम बदलना होगा, तब नूर जग में झलके |
+ रमेशराज 



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....7.
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पड़नी है और तुझ पे , टेक्सों की मार प्यारे
 टेक्सों की मार प्यारे , नित झेल वार प्यारे |
 नित झेल वार प्यारे, मिलना न न्याय तुझको
मिलना न न्याय तुझको , चुभनी कटार प्यारे |
चुभनी कटार प्यारे , बाबू की अफसरों की
 बाबू की अफसरों की , आरति उतार प्यारे |
आरति उतार प्यारे , महंगाई झेल हर दिन
हर दिन  बजट पे तेरे, डाके हज़ार प्यारे |
डाके हज़ार प्यारे , शासन बना लुटेरा
शासन बना लुटेरा , अब तो विचार प्यारे |
+ रमेशराज



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी...8.
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कुछ देश-भक्त बन के , अब खा रहे वतन को
अब खा रहे वतन को , हर भोर की किरन को |
हर भोर की किरन को तम में बदल रहे हैं
तम में बदल रहे हैं , सुख से भरे चलन को |
सुख से भरे चलन को दुःख-दर्द दे रहे हैं
दुःख-दर्द दे रहे हैं , हर एक भोले मन को |
हर एक भोले मन को , अंगार भेंट करते
अंगार भेंट करते , तैयार हैं हवन को |
तैयार हैं हवन को , ये देश-भक्त बन कर
 ये देश-भक्त बन कर , नित लूटते चमन को |
+ रमेशराज 



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....9.
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सब सूदखोर घेरे , अब क्या करेगा 'होरी '
अब क्या करेगा 'होरी ', भूखा मरेगा 'होरी '|
भूखा मरेगा 'होरी ', घर में न एक दाना
घर में न एक दाना , गिरवी धरेगा 'होरी '|
गिरवी धरेगा 'होरी ', धनिया के कंगनों को
धनिया के कंगनों को , फिर भी डरेगा 'होरी '|
फिर भी डरेगा 'होरी ', कर्जा है अब भी बाक़ी
कर्जा है अब भी बाक़ी, ये भी करेगा होरी |
 ये भी करेगा होरी , बैलों को बेच देगा
बैलों को बेच देगा , कर्जा भरेगा 'होरी '| 
+ रमेशराज 



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....10.
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जनता की जेब सत्ता , बस आजकल टटोले
बस आजकल टटोले , ' करना विकास ' बोले |
' करना विकास ' बोले , ऐसे नियम बनाए
 ऐसे नियम बनाए , दागे नियम के गोले |
दागे नियम के गोले , कर-जोड़ खड़ी जनता
कर-जोड़ खड़ी जनता , अपनी जुबां न खोले |
अपनी जुबां न खोले , बस कांपती है थर-थर
बस कांपती है थर-थर , सत्ता के देख ओले
+ रमेशराज 



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....11.
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दिन देश-भर में अच्छे लायेंगे अब विदेशी
लायेंगे अब विदेशी , आयेंगे अब विदेशी |
आयेंगे अब विदेशी दौलत यहाँ लुटाने
दौलत यहाँ लुटानेभाएंगे अब विदेशी |
 भाएंगे अब विदेशी , सेना में  रेलवे में
सेना में  रेलवे में , गायेंगे अब विदेशी |
गायेंगे अब विदेशी , "अब है हमारा भारत"
भारत  के काजू -पिश्ता खायेंगे अब विदेशी
खायेंगे अब विदेशी , करके हलाल मुर्गा
मुर्गा-सरीखा हमको पाएंगे अब विदेशी |
+ रमेशराज



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....12.
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तम के हैं आज जारी हर रोशनी पे हमले
हर रोशनी पे हमले , अब ज़िन्दगी पे हमले |
अब ज़िन्दगी पे हमले , नित मौत कर रही है
नित मौत कर रही है मन की खुशी पे हमले |
मन की खुशी पे हमले , दुःख-दर्द कर रहे हैं
दुःख-दर्द कर रहे हैं सुख की नदी पे हमले |
सुख की नदी पे हमले सूखा के हो रहे हैं
सूखा के हो रहे हैं हर सू नमी पे हमले |
हर सू नमी पे हमले , मरुथल-सी ज़िन्दगी है
 मरुथल ने कर दिए हैं खिलती कली पे हमले |
+ रमेशराज



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....13.
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मातों-भरा है जीवन , जनता की जय कहाँ है
 जनता की जय कहाँ है , आनन्द-लय कहाँ है |
 आनन्द-लय कहाँ है , दुःख-दर्द हैं घनेरे
दुःख-दर्द हैं घनेरे , सुख का विषय कहाँ है |
सुख का विषय कहाँ है, संघर्षमय है जीवन
संघर्षमय है जीवन , रोटी भी तय कहाँ है |
रोटी भी तय कहाँ है , बस भुखमरी का आलम
बस भुखमरी का आलम , दुःख पर विजय कहाँ है |
 दुःख पर विजय कहाँ है , केवल बुढ़ापा घेरे
केवल बुढ़ापा घेरे , उन्मुक्त वय कहाँ है |
--रमेशराज



रमेशराज की ‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी....14.
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हम पे कुनीतियों के कोड़ों की मार क्यों है ?
कोड़ों की मार क्यों है ? शासन कटार क्यों है ?
 शासन कटार क्यों है ? सोचेगा बोल कब तू
 सोचेगा बोल कब तू , हर बार हार क्यों है ?
हर बार हार क्यों है ? गुंडों को चुन न प्यारे
 गुंडों को चुन न प्यारे , गुंडों से प्यार क्यों है ?
 गुंडों से प्यार क्यों है ? सुधरे न ऐसे सिस्टम
 सुधरे न ऐसे सिस्टम , ऐसा विचार क्यों है ?
 ऐसा विचार क्यों है ? सत्ता बदलना हितकर
 सत्ता बदल दी अब भी तुझको बुखार क्यों है ?
+ रमेशराज
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-रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630


रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ

रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
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रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....1.
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कैसे  भये डिजीटल ऊधौ
पहले थे हम सोने जैसे , अब हैं पीतल ऊधौ |
‘ मन की बात ‘ तुम्हारी लगती
है छल ही छल , है छल ही छल , है छल ही छल ऊधौ |
कहकर अच्छे दिन आयेंगे
पाँव पाँव में डाल रहे हो सबके साँकल ऊधौ |
पी ली हमने कड़वी औषधि
रोग हमें क्यों घेर रहे फिर  बोलो पल पल ऊधौ |
+रमेशराज  


रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....2.
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देखी कवि तेरी कविताई
शब्दों के भीतर ज़हरीली तूने फसल उगाई |
कवि ये तूने क्या कर डाला
जहाँ बनाना था पुल तुझको , वहाँ बनाई खाई |
बोलो क्या कवि-कर्म यही है ?
जहाँ प्यार के स्वर मीठे थे आग वहाँ धधकाई |
कवि तू करने चला उजाला !
घुप्प अँधेरे में फिर तूने क्यों कंदील बुझाई |
कवि तू खुद को कहे कबीरा !
सम्प्रदाय की रार तुझे फिर क्यूंकर पल-पल भायी  ?
+रमेशराज


रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....3.
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नेता डोलें फूले-फूले
जिस जनता ने वोट दिया था , उस जनता को भूले |
अब तक जितने गद्दी बैठे
कोरे आश्वासन वाले सब लम्पट घाघ बतूले |
जनता अपना हक़ जो माँगे
जनता के प्रतिनिधि बनकर ये होते आग-बबूले |
अपने जो पुरखों ने सींची
उन डालों  पर आज विदेशी डाल रहे हैं झूले |
अच्छे दिन कैसे ये आये
सपने अपने हुए अपाहिज अंधे लगड़े लूले |
+रमेशराज


रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....4.
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ऊधौ दिन अच्छे ये कैसे !
डीज़ल और खाद के हर दिन जब तुम दाम बढाऔ  |
मत तुम थोथे गाल बजाऔ
क्यों न मिली इस महंगाई से हमको मुक्ति बताऔ ?
ऊधौ नित इज्ज़त पर डाके
बहिन-बेटियाँ रहें सुरक्षित वो क़ानून बनाऔ |
 ऊधौ तुम तो रहे स्वदेशी
गीत विदेशी फिर किस कारण भारत-बीच सुनाऔ ?
पहले अंग्रेजों ने लूटे
पुनः विदेशी हमको लूटें , जाल न नये बिछाऔ |
+ रमेशराज


रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....5.
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ठगिनी आज सियासत देखी
हर नेता के भीतर हमने छल की आदत देखी |
इसका गिरना तय है यारो !
सरकारी ठेके पर हमने खड़ी इमारत देखी |
पल-पल पापों का अभिनन्दन
हिस्से में अब सच्चाई के केवल जिल्लत देखी |
जो नित माँ-बहिनों को लूटे
अबला उन गुंडों के आगे करती मिन्नत देखी |
धर्म का विकृत रूप कबीरा
वैरागी की धन-नारी से विकट मुहब्बत देखी |
+रमेशराज
 

रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....6.
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ऊधौ खल ही तुमने तारे
कुर्सी-कुर्सी पर बैठाए चोर और हत्यारे |
ऊधौ दीखें बिल्डिंग - सड़कें
नये-नये कानून बनाकर छीने खेत हमारे |
ऊधौ जन को दाल न रोटी
मन के भीतर अब भरती नित मंहगाई अंगारे |
ऊधौ हमको तुम छल बैठे
लगा-लगाकर नव विकास के मंच-मंच से नारे |
ऊधौ आम आदमी सिसके
खास जनों की सुविधा के हित सब कानून तुम्हारे |
+रमेशराज

रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....7.
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ऊधौ जय-जयकार तुम्हारी
पाँच साल के बाद तुम्हें फिर आयी याद हमारी |
ऊधौ अब इज्ज़त पर डाके
बहिन-बेटियाँ लूट रहे हैं अब जल्लाद हमारी |
ऊधौ बिगड़े बजट घरों के
महंगाई से आज तबीयत अति नाशाद हमारी |
ऊधौ इसको धर्म कहो मत
आगजनी - पथराव करे बस्ती बर्बाद हमारी |
ऊधौ कैसे वोट तुम्हें दें
मत आंको तुम जाति-धर्म से अब तादाद हमारी |
+ रमेशराज

रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....8.
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मैया मेरी कैसी ये आज़ादी ?
खुलेआम अब लूट रही है जनता को नित खादी |
मैया मेरी कैसौ देश हमारौ
अब बाबू चपरासी तक हैं सब रिश्वत के आदी |
मैया मेरी सम्प्रदाय के झगड़े
हर बस्ती को फूँक रहे हैं मज़हब के उन्मादी |
मैया मेरी होय 'रेप ' थाने में
रपट लिखने कित जाये अब हर अबला फरियादी |
मैया मेरी पूँजीवाद निगोड़ा
मिल नेता सँग शोषण करता बनकर अब जल्लादी |
+ रमेशराज 
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+रमेशराज, 15/109, ईसानगर , अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630 




Saturday 12 March 2016

“ चूमि-चूमि मातृभूमि “ [ रमेशराज की तेवरियाँ ]

चूमि-चूमि मातृभूमि “ [ रमेशराज की तेवरियाँ  ]
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रमेशराज की तेवरी......1.
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मारि-मारि, भू पै डारि, बू उतारि, पाक की
बाँह-टाँग धाड़-धाड़ लै उखारि पाक की।

मन में उबाल ला, बनि के मशाल जलि
पाप-बेलि ताड़-ताड़ दे उजारि पाक की।

कंस और दे न दंश, मेटि वंश शत्रु का
आज हाथ वाण ले, जाँ निकारि पाक की।

भण्डा फोडि़, अण्डा फोडि़, कण्डा फोडि़ पाक के
माँगै कशमीर, वीर मुण्डि झारि पाक की।
+ रमेशराज +


रमेशराज की तेवरी......2.
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चूमि-चूमि मातृभूमि घूमि-घूमि मार दै
अरि को पकरि, भरि मुष्टिका प्रहार दै।

तू न चूक टूक-टूक करि तार पाक के
साध लै कमान-ध्यान, तीर आर-पार दै।

तान छरि, आन छरि, शान छरि, शत्रु की
म्यान खोल, हल्ला बोल, पाक को पछार दै।

क्रान्ति का रमेशराज, सिखला दे पाठ तू
तोडि़-तोडि़ डंक, पाक-हेकड़ी निकार दै।
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......3.
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सत्ता की कुचालन कूँ राम-राम दूर से
मकड़ी के जालन कूँ राम-राम दूर से, है प्रणाम दूर से |

धनिये में लीद मिलै, कंकरीट दाल में
मोटे-मोटे लालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

सरकारी आँकड़ों के बादलों में जल है
सूखे-सूखे तालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

चीकने घड़ों की कौम, नेतन के वंश को
गैंडे जैसी खालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

खोपड़ी को लाल-लाल हर हाल जो करें
ऐसी फुटबालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

नेताजी के बँगले में फसले-बहार है
फूली-फूली डालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

जाली नोट, खींचे वोट, चोट दे वतन को
ऐसी टकसालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

फिल्मी अदा के साथ प्रश्न सब पूछते
यक्ष के सवालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

आपके ये ढोल-बोल ! आपको ही शुभ हों
तालहीन तालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |

तोल-तोल तू बोल हमसे रमेशराज
बड़बोले गालन कूँ राम-राम दूर से , है प्रणाम दूर से |
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......4.
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पूरे ढोर, नंग-चोर बात करें ध्रर्म की
सैंधबाज-घूँसखोर बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |

घर पै बढ़ायें बोझ, गाँठ काटें बाप की
पूत ऐसे चारों ओर बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |

रखते यकीन हीन-ये कमीन छल में
झूठ के पकडि़ छोर बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |

आज तो रमेशराज बगुले-गिद्ध-बाज
बनते कपोत-मोर, बात करें ध्रर्म की , सत्य-भरे मर्म की |
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......5.
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नेता की जात निराली,
देता आश्वासन खाली, कुक्कू-कुक्कू।

जनता तो भूखी-प्यासी
मंत्री के आगे थाली, कुक्कू-कुक्कू।

शुद्ध अहिंसावादी है ये
नेता के हाथ दुनाली, कुक्कू-कुक्कू।

जनता है सूख छुआरा
नेता पै छायी लाली, कुक्कू-कुक्कू।

उल्लू बैठे डाल-डाल पै
खुश हैं भारत के माली, कुक्कू-कुक्कू।

आज राम सँग मौज उड़ाते
कुम्भकरण, रावण, बाली, कुक्कू-कुक्कू।
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......6.
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करते नित धम्मक-धम्मा
जिनके ऊपर सिर्फ मुलम्मा, हर-हर गंगे।

अब तौ नसबन्द कराय लै
मैं तौ नौ-नौ की अम्मा, हर-हर गंगे।

सत्ता हाथ न , हालत पतली
नेता कौ खुलौ पजम्मा, हर-हर गंगे।

जनता से दूध दूर है
मंत्री को दही कटम्मा, हर-हर गंगे।

इसके ऊपर काले विषधर
कुर्सी कौ देख तितम्मा, हर-हर गंगे।

खिसकी नेता की कुर्सी
नेता झट गिरौ धड़म्मा, हर-हर गंगे।

बूथ लूट संसद पहुंचाया
नेता ने पूत निकम्मा, हर-हर गंगे।

खुद तो नेता अजगर जैसा
जनता को कहे हरम्मा, हर-हर गंगे।
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......7.
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गैंडे-सा, आँख चिरौटा,
कुर्सी पै जमौ बिलौटा, जै नेता की।

तस्कर-लुच्चे  की ही सुनता
नेता के लगौ मुखौटा, जै नेता की।

खिचड़ी राजनीति की लेके
करता नित घौटमघौटा, जै नेता की।

रिश्वत खायी, चौथ वसूली,
बुरे कर्म से कब ये हौटा, जै नेता की |

पहुँचा संसद, नेता फूला
हाथी से ज्यादा मौटा, जै नेता की।
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......8.
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बैठो किस्मत कौ भट्टा,
अब तौ रोटी में बट्टा, जय माता दी।

रूप स्वदेशी पर  नेता-घर
भारी डालर के चट्टा, जय माता दी।

राजनीति मंदिर-मस्जिद की
सिमटै कैसे पसरट्टा, जय माता दी |

वे कहलाते गांधीवादी
जिनके हाथों में कट्टा, जय माता दी।

आगजनी के लूटपाट के
प्यारे तू झेल झपट्टा, जय माता दी।

तैने ही संसद पहुँचायौ
नेता को देखि सिंगट्टा, जय माता दी।

साथ दरोगा चोर-उचक्के
थाने के भीतर सट्टा, जय माता दी।
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......9.
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नेताजी के रूप निराले,
घोटालों में नित घोटाले, बम-बम भोले।

राम नाम के ओढ़ दुशाले,
बसे शहर में विषधर काले, बम-बम भोले।

राम आज के रावण के सँग
घूमें ज्यों जीजा-साले, बम-बम भोले।

आँख लड़ाये दिनभर बुड्ढ़ा
कुडियों को दाना डाले, बम-बम भोले।

गोद रहे हैं आज वतन को
नेता-अफसर जैसे भाले, बम-बम भोले।
+ रमेशराज +

रमेशराज की तेवरी......10.
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बहती अब उल्टी गंगा,
बस्ती में पुजे लफंगा, क्या कर लोगे?

एक टांग को खोकर भी यारो   
पंगा नित लेता पंगा, क्या कर लोगे?

बीबी बोलै सौतन को लखि
नहीं बनाय कें दूँगी अंगा, क्या कर लोगे?

बाराती सब ऐंडे-भैंडे
कानी दुल्हन, दूल्हा छंगा, क्या कर लोगे?

कुडि़यों का छोरा दीवाना
छोड़ टंगड़ी मारै टंगा, क्या कर लोगे?

हीरोइन निर्वस्त्र हुई है
होगा हीरो भी नंगा, क्या कर लोगे?
+ रमेशराज +


रमेशराज की तेवरी......11.
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नेता कुर्सी के घैंटा,
जैसे बूरे के चैंटा, कुक्कू-कुक्कू।

सुन्दरता पर भाषण देते
लूले-लँगडे़ और कनैंटा, कुक्कू-कुक्कू।

औरों में ही दोष निकालें
ऐंडे भेंड़े टेड़े टैंटा, कुक्कू-कुक्कू।

इनका क्या ईमान-धर्म ये
रंग बदल लेते करकैंटा, कुक्कू-कुक्कू।

नेताजी है भौंट सरीखे
जनता तो सूखौ सैंटा, कुक्कू-कुक्कू।
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+ रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ-202001

Mo.-9634551630