Monday, 9 August 2021

तेवरी

 *रति वर्णवृत्त में तेवरी* 

**********

खल हैं सखी

मल हैं सखी।


जन से करें

छल हैं सखी।


सब विष-भरे

फल हैं सखी।


सुख के कहाँ

पल हैं सखी।


नयना हुए

नल हैं सखी।

*रमेशराज

No comments:

Post a Comment