रमेशराज के चर्चित तेवर-शतक ,तेवरी-संग्रह एवं तेवरियाँ
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खल हैं सखी
मल हैं सखी।
जन से करें
छल हैं सखी।
सब विष-भरे
फल हैं सखी।
सुख के कहाँ
पल हैं सखी।
नयना हुए
नल हैं सखी।
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