Monday, 9 August 2021

तेवरी

 रमेशराज की एक तेवरी 

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कोई तो किस्सा पावन हो, वृन्दावन हो 

अब चैन मिले मन को कुछ तो |


तहखानों बीच न जीवन हो, घर-आँगन हो 

सुख के पायें साधन कुछ तो |


अपमान नहीं अब वन्दन हो, अभिनन्दन हो 

ले आ रोली-चन्दन कुछ तो |


वो चाहे हर सू क्रन्दन हो, घायल मन हो 

कम करता दुष्ट हनन कुछ तो |


अब अग्नि-कथा का वाचन हो, अरिमर्दन हो 

स्वर में ला तीखापन कुछ तो |

+रमेशराज

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