लोकशैली में तेवरी
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नारे थे यहाँ स्वदेशी के
हम बने विदेशी माल , सुन लाल !
अपने हैं ढोल नगाड़े पर
ये मढ़े चीन की खाल , सुन लाल !
हम गदगद अपने बागों में
अब झूले चीनी डाल , सुन लाल |
हम वो संगीत शास्त्री हैं
स्वर में अमरीकी ताल , सुन लाल !
+रमेशराज
मारक व्यंग्य!...बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteAligarh Muslim University BA Part 2 Timetable
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