Thursday, 25 May 2017

तेवरी




तेवरी 
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खुशियों के मंजर छीनेगा
रोजी-रोटी-घर छीनेगा |
है लालच का ये दौर नया
पंछी तक के पर छीनेगा |
हम जीयें सिर्फ सवालों में
इस खातिर उत्तर छीनेगा |
वो हमको भी गद्दार बता
कबिरा के आखर छीनेगा |
धरती पर उसका कब्जा है
अब नभ से जलधर छीनेगा |
उसको आक्रोश बुरा लगता
शब्दों से पत्थर छीनेगा |

+रमेशराज  

1 comment:

  1. वाह वाह वाह

    गुरुवर

    आपके शब्द हृदय को बेध कर छलनी छलनी कर देते है।

    मैं तो कायल हो गया आपका।

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